SKMCH मुजफ्फरपुर ब्लड बैंक की खुली पोल

शुभाष चौधरी/मुजफ्फरपुर:
मुजफ्फरपुर SKMCH अस्पताल के ब्लड बैंक की खुली पोल , NACO/BSACS/UNOP(MoHFW) द्वारा आपूर्ति  मशीन/उपकरण की उपयोगिता में मिली खामियां।
मुजफ्फरपुर – लोक चेतना दल के राष्ट्रीय प्रवक्ता सह आरटीआई कार्यकर्ता शकिन्द्र कुमार यादव ने स्वास्थ्य विभाग में व्याप्त घोर अनियमितता की पोल खोल दी है। साथ ही उन्होंने कहा कि इसWhatsApp Image 2017-02-07 at 9.45.22 AM गड़बड़ी के लिए सीधे सुशासन बाबु दोषी हैंl श्री कृष्ण चिकित्सीय महाविद्यालय अस्पताल (SKMCH) मुजफ्फरपुर के ब्लड बैंक को NACO/BSACS/UNOP(MoHFW) द्वारा आपूर्ति  मशीन/उपकरण की उपयोगिता में निम्नलिखित अनियमितता पायी गई;-
1. ब्लड बैंक के अनुज्ञप्ति नहीं होने के कारण 16 तरह के मशीन/उपकरण निष्क्रिय रहे एवं रोगियों के सेवार्थ नहीं लाया गयाl
2. 16 तरह के मशीन/उपकरण में से चार क्र० संख्या 1,2,7 और 16 के मूल्य से सम्बंधित कोई कागजात नहीं था l 12 तरह के मशीन/उपकरण का मूल्य 55,98,431रू० (पचपन लाख vaBkuos हजार चार सौ इक्कतीस) थे l
3. नौ तरह क्र० संख्या-1,2,6 तथा 8 से 13 तक के मशीन/उपकरण के स्थापन तथा वारंटी अवधि से संबंधित कोई कागजात नहीं थेl
4. क्र० संख्या-4,7, तथा 15 के मशीन/उपकरण के स्थापन तिथि तथा स्टॉक में इन्द्रज की तिथि में अंतरl
5. दो तरह क्र० संख्या-14 एवं 16 के मशीन/उपकरण में शुरुआती वारंटी तथा AMC मार्च 2018 तक वैध हैl अन्य का caliberation तथा AMC शुरुआती वारंटी तथा AMC के बाद अस्पताल द्वारा कराया गया l
6. एक DEEP Freezer (-80c) को दिनांक 25.05.2010 को प्राप्त दिखाया गया परन्तु इसमें RITES LIMITED के 05.09.11 के आपूर्ति आदेश के विरुद्ध प्राप्त DEEP Freezer (-80c) के क्र० संख्या को दर्शाया गयाl

आगे यह देखा गया कि रक्त अवयवों सहित रक्त अधिकोष की अनुज्ञप्ति हेतु राज्य औषधि नियंत्रक ने विभिन्न औपचारिकताओं के पूर्ण होने के बाद माह अप्रैल 2013 में सूचित किया गया कि अनुज्ञप्ति के लिए चीफ लाइसेंसिंग ऑथरिटी, न्यू दिल्ली को फॉर्म 28C भेजा जा चुका है। इसके बाद दिनांक 18.9.13 को राज्य औषधि नियंत्रक ने CDSCO, पूर्वी खंड, कोलकाता एवं विशेषज्ञ के साथ संयुक्त निरीक्षण किया, जिसमें पाई गई कमियों का निराकरण प्रतिवेदन अधीक्षक ने जून 2014 में भेजा था तथा सितंबर 2014 को स्मारित किया।
अस्पताल के द्वारा यह बताया गया कि अस्पताल ने फॉर्मेट 27C में आवेदन 04.05.2010 किया गया था l प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी/ब्लड बैंक ने अस्पताल अधीक्षक को कोई पत्र नहीं दियाl SBTC या अन्य उच्च अधिकारियों को उनके द्वारा पत्र दिया गया है या नहीं, इसकी जानकारी के लिए उन को पत्र दिया जा रहा हैl
राज्य औषधि नियंत्रक कार्यालय के अधिकारी की उपस्थिति में ही 29.07.2010/ 18.09. 2013 को संयुक्त निरीक्षण किया गया थाI निरीक्षण प्रतिवेदन की प्रति औषधि नियंत्रक कार्यालय से प्राप्त नहीं हुईl चीफ लाइसेंसिंग ऑथरिटी, न्यू दिल्ली को फॉर्म 28c भेजने का आधार एवं निरीक्षण प्रतिवेदन नहीं भेजने का कारण राज्य औषधि नियंत्रक कार्यालय ही बता सकता है l
दिनांक 18.09.13 के संयुक्त निरीक्षण के बाद 4.10.2013 को एनओसी हेतु SBTC को आवेदन किया गया था जहां 3.9.2014 को अनापत्ति प्रमाण पत्र राज्य औषधि नियंत्रक को भेजा गयाI राज्य औषधि नियंत्रक ने अपने 13.05. 2014 के पत्र द्वारा कुछ आपत्तियां लगाई जिसका निराकरण 19.06.14 को ही किया गयाI अतः निराकरण में 1 महीने का ही समय लगाI
उपरोक्त जवाब से स्पष्ट है कि-
1. राज्य औषधि नियंत्रक कार्यालय ने निरीक्षण के बाद निरीक्षण प्रतिवेदन नहीं उपलब्ध करवाया, अस्पताल के फार्म 27C में आवेदन (4.5.2010) करने के करीब 3 वर्ष बाद अप्रैल 2013 में चीफ लाइसेंसी अथॉरिटी न्यू डेल्ही को फॉर्म 28C भेजा तथा वर्तमान में अस्पताल के पत्र (19.06. 2014) को लंबित रखा जो कि राज्य औषधि नियंत्रक कार्यालय की मनमानी एवं शिथिलता दर्शाता हैl
2. SBTC ने भी अनापत्ति प्रमाण पत्र निर्गत करने में करीब 1 वर्ष लगाया जो कि SBTC की मनमानी एवं स्थिलिता दर्शाता हैl
3. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी/ ब्लड बैंक ने अस्पताल अधीक्षक को कोई पत्र नहीं दिया गया l उन्होंने मशीन/उपकरण के मूल्य,स्थापन एवं वारंटी अवधि से संबंधित कागजात तथा स्टॉक का संधारण सही ढंग से नहीं किया गया है जो उनके कार्य के प्रति उदासीनता को दर्शाता है।
उपरोक्त तथ्यों की पुष्टि महालेखाकार (लेखापरीक्षा) बिहार पटना के निरीक्षण प्रतिवेदन संख्या-252/14-15 भाग 2 के कंडिका 1 में हुई है.

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